केरल में हिंदुओं की आधी आबादी वाला मुस्लिम समुदाय सबसे ज्यादा बच्चे पैदा कर रहा है. यह सिलसिला जारी है. केरल में पैदा होने वाले बच्चों में करीब 44 फीसदी बच्चे मुसलमान हैं. हिंदुओं की आबादी से दोगुनी आबादी होने के बावजूद बच्चे पैदा करने के मामले में हिंदुओं के करीब 41 फीसदी बच्चे हैं. वहीं मुसलमानों में मौतों की संख्या उनकी आबादी से काफी कम है.
हर साल लाखों नए लोग मुस्लिम समुदाय में शामिल हो रहे हैं. ये सारी बातें हाल ही में आई एक रिपोर्ट में सामने आई हैं. यह रिपोर्ट एक थिंक टैंक ने जारी की है. सेंटर फॉर पॉलिसी स्टडीज थिंक टैंक ने 30 जनवरी 2025 को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट का नाम है भारत में धार्मिक जनसांख्यिकी: बढ़ता धार्मिक असंतुलन. इस रिपोर्ट में 2008 से 2021 तक केरल और अन्य समुदायों के हिंदुओं, मुसलमानों और ईसाइयों के आंकड़ों पर शोध किया गया है.
हिन्दुओं से ज्यादा बच्चे मुस्लिमों में पैदा हो रहे
CPS ने अपने विश्लेषण में पाया कि 2016 के बाद से केरल के अंदर सबसे ज्यादा बच्चे मुस्लिम समुदाय में पैदा हो रहे हैं. 2016 में केरल में 2 लाख 7 हज़ार हिंदू बच्चे पैदा हुए जबकि इसी दौरान 2 लाख 11 हज़ार मुस्लिम बच्चे पैदा हुए। यही स्थिति 2017 में भी रही जब 2 लाख 10 हज़ार 71 हिंदू बच्चे पैदा हुए लेकिन मुस्लिम बच्चों की संख्या 2 लाख 16 हज़ार 525 रही। यह सिलसिला 2020 तक जारी रहा। 2021 एकमात्र ऐसा साल रहा जब हिंदू बच्चों की संख्या में वृद्धि हुई। इस डेटा को नीचे दिए गए ग्राफ़ से समझें।
![think-tank-warns-of-demographic-change-in-kerala-as-muslims-are-growing-much-faster-than-hindus](https://satyamanch.com/wp-content/uploads/2025/02/Screenshot-2025-02-03-at-9.01.00-PM.png)
इस ग्राफ से साफ़ है कि 2016 से केरल में कम हिंदू बच्चे पैदा हो रहे हैं. ऐसा तब हो रहा है जब राज्य में हिंदुओं की आबादी करीब 55% और मुसलमानों की आबादी करीब 27% है. अगर दोनों आंकड़ों को एक साथ समझा जाए तो पता चलता है कि आधी आबादी होने के बावजूद मुसलमान हिंदुओं से ज़्यादा बच्चे पैदा कर रहे हैं. ये बदलाव 2016 से पहले धीरे-धीरे आ रहा था जब हिंदू बच्चों की संख्या लगातार घट रही थी. इन आंकड़ों को CPS द्वारा दिए गए इस चार्ट से समझें.
चार्ट में साफ है कि 2008 में केरल में पैदा हुए बच्चों में से 45% हिंदू थे जबकि 36% मुस्लिम थे। ईसाइयों की संख्या करीब 17.5% थी। लेकिन 2020 तक कुल जन्मों में हिंदू बच्चों की संख्या घटकर 41.4% रह गई, जबकि इसी अवधि में कुल जन्मों में मुस्लिम बच्चों की हिस्सेदारी बढ़कर 44% हो गई। इसी अवधि में कुल जन्मों में ईसाइयों की हिस्सेदारी करीब 18% से घटकर 14% से नीचे आ गई।
हिन्दुओं से 5 गुना तेजी से बढ़े मुस्लिम
सीपीएस की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले 3 दशकों में केरल में कुल प्रजनन दर (टीएफआर) में तेजी से गिरावट आई है। 15-49 वर्ष की आयु के बीच एक महिला जितने बच्चों को जन्म देती है, उसे टीएफआर कहा जाता है। इसका औसत राज्य का टीएफआर होता है। किसी भी समुदाय की जनसंख्या समान रहने के लिए औसत टीएफआर 2.1 होना चाहिए। 2023 के एक सर्वे के मुताबिक केरल में मुसलमानों की टीएफआर अभी भी 2.25 है, जबकि हिंदुओं में यह 1.53 पर पहुंच गई है।
CPS की रिपोर्ट बताती है कि इन सभी बदलावों का राज्य की आबादी पर तेजी से असर पड़ा है। सीपीएस ने पाया है कि 1950 के बाद से केरल में मुसलमान सबसे तेजी से बढ़ रहे हैं। 2001 से 2011 के बीच केरल में हिंदुओं की आबादी जहां सिर्फ 2.23% और ईसाइयों की आबादी सिर्फ 1.38% बढ़ी, वहीं इस दौरान मुसलमानों की आबादी 12.8% बढ़ी। यह सिलसिला इससे पहले भी जारी रहा है।
सीपीएस ने अपने विश्लेषण में पाया है कि 2008-21 के बीच पैदा हुए बच्चों में मुसलमानों की हिस्सेदारी उनकी आबादी से कहीं ज़्यादा है, लेकिन राज्य में मौतों में यह हिस्सेदारी उनकी आबादी से कम है। सीपीएस की रिपोर्ट बताती है कि 2008 से 2021 के बीच केरल में मौतों में मुसलमानों की हिस्सेदारी करीब 20% रही है, जो उनकी आबादी 26.5% से कहीं कम है। इसके उलट मौतों में हिंदुओं का प्रतिशत करीब 60% रहा है। ईसाइयों में मौतों की संख्या भी उनकी आबादी के बराबर रही है।
केरल की आबादी में हर साल जुड़ रहे 1 लाख+ मुस्लिम
सीपीएस की रिपोर्ट बताती है कि हर साल केरल की आबादी में सबसे ज्यादा लोग मुस्लिम समुदाय से जुड़ रहे हैं। सीपीएस ने केरल में हर समुदाय में हर साल होने वाली मौतों और पैदा होने वाले बच्चों की संख्या के बीच अंतर की गणना करके यह डेटा तैयार किया है। सीपीएस के मुताबिक साल 2021 में मुस्लिम समुदाय में 1 लाख 4 हजार नए लोग शामिल हुए हैं, जबकि हिंदुओं की आबादी में सिर्फ 1099 की बढ़ोतरी हुई है। ईसाइयों की आबादी में 6218 की कमी आई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, हिंदू आबादी की वृद्धि दर लगातार घट रही है। अगर यही ट्रेंड जारी रहा तो कुछ सालों में हिंदुओं की आबादी घटने लगेगी। हालांकि, 2008 से हर साल 1 लाख से ज्यादा लोग मुस्लिम आबादी में शामिल हो रहे हैं। रिपोर्ट बताती है कि 2011-20 के बीच आबादी में उनकी हिस्सेदारी 26% से बढ़कर 29% हो गई है। वहीं, केरल की आबादी में हिंदुओं की हिस्सेदारी घट रही है। रिपोर्ट कहती है कि आने वाले समय में यह अंतर और बढ़ सकता है।