म्यूनिख, जर्मनी: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन 2025 में पश्चिमी देशों पर तीखा प्रहार करते हुए दोहरे मापदंड पर सवाल उठाए। अपने बेबाक और स्पष्ट बयानों के लिए मशहूर जयशंकर ने कहा, “अगर आप नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था की बात करते हैं, तो सबसे पहले उसे खुद लागू करें। जो कहते हो, वही करो!” (S Jaishankar in Munich conference)
जयशंकर का स्पष्ट संदेश: दोहरे मापदंड नहीं चलेंगे
अपने संबोधन के दौरान जयशंकर ने पश्चिमी देशों की उन नीतियों पर सवाल उठाए जो अक्सर स्वयं के लिए अलग और अन्य देशों के लिए अलग होती हैं। उन्होंने कहा कि भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं को सहयोग और सम्मान मिलना चाहिए, न कि दबाव और धमकी।
“हम अक्सर सुनते हैं कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में नियमों का पालन जरूरी है। लेकिन जब उन्हीं नियमों की बात खुद पर आती है, तो पश्चिमी देश चुप क्यों हो जाते हैं?” जयशंकर के इस बयान को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर व्यापक चर्चा हो रही है।
रूस-यूक्रेन युद्ध और भारत की स्थिति
जयशंकर ने रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत के दृष्टिकोण को भी मजबूती से रखा। उन्होंने कहा कि भारत की नीति स्वतंत्र और तटस्थ है और वह किसी भी दबाव में आकर नीतियां नहीं बनाएगा।
“हम अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए फैसले लेते हैं, चाहे वह ऊर्जा नीति हो, रक्षा सौदे हों या फिर वैश्विक कूटनीति। हमें कोई उपदेश न दे।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि यूरोप अपने मुद्दों को वैश्विक समस्या के रूप में प्रस्तुत करता है, लेकिन जब एशिया या अफ्रीका की समस्याओं की बात आती है, तो वही देश चुप्पी साध लेते हैं। S Jaishankar in Munich conference
भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका
- जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत अब वैश्विक शक्ति केंद्र बन रहा है और पश्चिमी देशों को इसे स्वीकार करना होगा।
- संयुक्त राष्ट्र सुधारों पर उन्होंने कहा कि “अगर आप सच में लोकतंत्र की बात करते हैं, तो UNSC में भारत को स्थायी सदस्यता क्यों नहीं देते?”
- आर्थिक संप्रभुता पर उन्होंने कहा कि “हमारी नीतियां हमारे हितों के अनुसार तय होंगी, न कि किसी अन्य देश के दबाव में।”
- युद्ध और शांति पर उन्होंने कहा कि “दुनिया को सिर्फ यूरोप के नजरिए से मत देखो, एशिया और ग्लोबल साउथ की आवाज भी सुनो।”
- जयशंकर का संदेश स्पष्ट— भारत झुकेगा नहीं
म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन 2025 में एस. जयशंकर के इस भाषण को अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में एक मजबूत संकेत के रूप में देखा जा रहा है। भारत अब केवल फॉलोअर नहीं, बल्कि एक लीडर के रूप में उभर रहा है। जयशंकर ने पश्चिमी देशों को सीधा संदेश दिया कि भारत अब अपनी शर्तों पर चलेगा, बाहरी दबाव में नहीं।
“नया भारत अपने हितों की रक्षा करना जानता है और इसे कोई रोक नहीं सकता।”