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Fact Check के नाम पर Indian Express की Fake News: ट्रंप ने खुद कबूला कि $21 मिलियन की फंडिंग भारत के लिए थी

Pranshu Tiwari February 22, 2025 8 Min Read
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indian express fake news on usaid and fund of 21 million dollar to effect indian elections
indian express fake news on usaid and fund of 21 million dollar to effect indian elections
Highlights
Indian Express का झूठ: आखिर ये एजेंडा क्यों?भारतीय चुनावों में विदेशी हस्तक्षेप: क्यों यह खतरनाक है?Fake News के जरिए जनता को गुमराह करने का षड्यंत्रट्रंप का खुलासा: क्या USAID के पैसे से किसी पार्टी को फायदा पहुंचाने की कोशिश हुई?राष्ट्रवादी भारत को कैसे बचाएं?राष्ट्रवादी भारत के खिलाफ षड्यंत्र को बेनकाब करने का समय

भारतीय लोकतंत्र की संप्रभुता और चुनावी प्रक्रिया पर विदेशी शक्तियों का हस्तक्षेप एक गंभीर चिंता का विषय है। हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खुलासे ने एक बड़े षड्यंत्र का पर्दाफाश किया। ट्रंप ने साफ कहा कि USAID ने भारतीय चुनावों में मतदाता टर्नआउट बढ़ाने के नाम पर $21 मिलियन (₹182 करोड़) की फंडिंग दी थी। (indian express fake news on usaid and fund of 21 million dollar to effect indian elections)

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खुलासे के तुरंत बाद, Indian Express जैसे कथित “निष्पक्ष” मीडिया संस्थानों ने इसे झूठा साबित करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी। उन्होंने दावा किया कि यह फंडिंग भारत के लिए नहीं, बल्कि बांग्लादेश के लिए थी।

लेकिन सच ज्यादा दिन तक छिपा नहीं रहता। 21 फरवरी को डोनाल्ड ट्रंप ने फिर से इस मामले पर सफाई देते हुए स्पष्ट कर दिया कि यह पैसा भारत के लिए ही आवंटित किया गया था। Indian Express और कुछ अन्य मीडिया संस्थानों ने फैक्ट चेक के नाम पर फर्जी खबरें फैला कर भारतीय जनता को गुमराह करने का प्रयास किया।

Indian Express का झूठ: आखिर ये एजेंडा क्यों?

Indian Express द्वारा फैलाई गई Fake News को अगर ध्यान से देखा जाए, तो यह कोई साधारण गलती नहीं लगती। यह स्पष्ट रूप से एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा थी, जिसका उद्देश्य जनता को गुमराह करना और अमेरिका की भारत में चुनावी दखलंदाजी को छिपाना था।

जब खुद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि यह फंडिंग भारत के लिए थी, तो Indian Express ने इसे झूठ क्यों बताया? क्यों हर बार जब कोई मामला भारत की संप्रभुता से जुड़ा होता है, भारतीय मीडिया का एक खास वर्ग विदेशी ताकतों का बचाव करता है? कौन हैं वे लोग जो भारतीय चुनावों को प्रभावित करने के लिए विदेशी धन और हस्तक्षेप का समर्थन कर रहे हैं?

यह वही मीडिया है जो 2019 में “EVM हैकिंग” का झूठ फैलाने के लिए विदेशी ताकतों के इशारे पर काम कर रहा था। यह वही मीडिया है जिसने CAA विरोध, शाहीन बाग, किसान आंदोलन और 2020 के दिल्ली दंगों के दौरान एक विशेष नैरेटिव सेट करने का प्रयास किया था।

भारतीय चुनावों में विदेशी हस्तक्षेप: क्यों यह खतरनाक है?

डोनाल्ड ट्रंप के बयान से यह साफ हो गया कि अमेरिका जैसी विदेशी शक्तियां भारत में चुनावों को प्रभावित करने का प्रयास कर रही हैं। अब सवाल यह है कि वे यह हस्तक्षेप क्यों कर रहे हैं और किसके समर्थन में कर रहे हैं?

भारत एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभर रहा है, और यह बात पश्चिमी देशों को रास नहीं आ रही। मोदी सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान और राष्ट्रवादी नीतियों से वैश्विक शक्तियां परेशान हैं। विदेशी शक्तियां हमेशा ऐसे दलों और नेताओं का समर्थन करती हैं, जो उनके इशारों पर काम करें और भारत को कमजोर करें। इस्लामी कट्टरपंथी और लेफ्ट-लिबरल समूहों का विदेशी ताकतों से गहरा संबंध है। अब अगर भारतीय चुनावों को प्रभावित करने के लिए $21 मिलियन की फंडिंग आई थी, तो यह साफ संकेत है कि भारत को अस्थिर करने की कोशिश की जा रही थी।

indian express fake news on usaid and fund of 21 million dollar to effect indian elections satyamanch
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Fake News के जरिए जनता को गुमराह करने का षड्यंत्र

Indian Express का यह झूठ कोई अकेली घटना नहीं है। भारत में पिछले कुछ वर्षों में मीडिया का एक बड़ा वर्ग राष्ट्रविरोधी नैरेटिव गढ़ने में लगा हुआ है।

  1. 2020 दिल्ली दंगे—जिसमें हिंदू विरोधी दंगों को “सीएए विरोध” बताने की कोशिश की गई।
  2. कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद—विदेशी मीडिया और भारतीय वामपंथी पत्रकारों ने झूठी रिपोर्टिंग कर यह दिखाने की कोशिश की कि “कश्मीरी लोग पीड़ित” हैं।
  3. 2022 ज्ञानवापी विवाद—जहां “अतिवादी हिंदू संगठनों” को बदनाम करने की कोशिश की गई।
  4. राम मंदिर निर्माण—जिसे मीडिया के एक वर्ग ने “संवैधानिक संकट” बताया।

यह वही मीडिया संस्थान हैं जो हमेशा भारत विरोधी ताकतों का समर्थन करते हैं और भारतीय राष्ट्रवाद को कमजोर करने का प्रयास करते हैं।

ट्रंप का खुलासा: क्या USAID के पैसे से किसी पार्टी को फायदा पहुंचाने की कोशिश हुई?

अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या USAID द्वारा भेजी गई यह फंडिंग किसी विशेष राजनीतिक दल को फायदा पहुंचाने के लिए थी? 2024 के चुनावों से पहले यह फंडिंग क्यों आई? क्या इस पैसे का इस्तेमाल भाजपा को हराने और किसी अन्य पार्टी को जिताने के लिए किया गया? क्या विदेशी ताकतें “सेक्युलरिज्म” के नाम पर भारत में वामपंथी और मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति को मजबूत करना चाहती हैं? अब यह मोदी सरकार और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों की जिम्मेदारी है कि वे इस मामले की गहन जांच करें और विदेशी फंडिंग से जुड़े सभी षड्यंत्रों का पर्दाफाश करें।

राष्ट्रवादी भारत को कैसे बचाएं?

यह जरूरी है कि भारत की संप्रभुता और चुनावी प्रक्रिया को विदेशी हस्तक्षेप से मुक्त रखा जाए। इसके लिए कुछ अहम कदम उठाने की जरूरत है:

  1. विदेशी फंडिंग पर कड़ा नियंत्रण—भारत में काम करने वाले सभी NGOs और मीडिया संस्थानों की विदेशी फंडिंग पर कड़ी नजर रखी जाए।
  2. Fake News फैलाने वाले मीडिया पर कार्रवाई—Indian Express और अन्य मीडिया हाउस जो झूठ फैलाते हैं, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
  3. राष्ट्रवादी विचारधारा को मजबूत करना—हमें अपने राष्ट्र के हितों की रक्षा के लिए एकजुट होना होगा और राष्ट्रवादी नेतृत्व को समर्थन देना होगा।
  4. अमेरिकी हस्तक्षेप पर आधिकारिक विरोध—भारत सरकार को अमेरिका से आधिकारिक रूप से जवाब मांगना चाहिए कि आखिर वे भारतीय चुनावों में क्यों पैसा लगा रहे हैं?

राष्ट्रवादी भारत के खिलाफ षड्यंत्र को बेनकाब करने का समय

Indian Express और अन्य मीडिया संस्थानों द्वारा फैलाया गया झूठ भारत की संप्रभुता पर एक बड़ा हमला था। डोनाल्ड ट्रंप का बयान यह साबित करता है कि विदेशी ताकतें भारतीय लोकतंत्र को प्रभावित करने के लिए सक्रिय हैं। अब समय आ गया है कि भारतीय जनता इस तरह की Fake News और विदेशी हस्तक्षेप के षड्यंत्रों को समझे और राष्ट्रवादी नेतृत्व का समर्थन करे। भारत अब जाग चुका है, और कोई भी विदेशी ताकत हमारे लोकतंत्र को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकती!

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