भारत में वामपंथी एजेंडा चलाने वाली ताकतें लंबे समय से विदेशी फंडिंग के दम पर देश के खिलाफ नैरेटिव सेट कर रही हैं। लेफ्ट-लिबरल गैंग, जिसे भारतीय राजनीति में राष्ट्रवाद विरोधी धड़े के रूप में देखा जाता है, लगातार विदेशी फंडिंग से संचालित होता रहा है। हाल ही में USAID द्वारा इंटरन्यूज नामक संस्था को दी गई ₹4100+ करोड़ की फंडिंग का खुलासा हुआ है, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि यह गैंग किसके इशारे पर काम करता है। (USAID और लेफ्ट-लिबरल गैंग)
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस विदेशी धन से प्रशांत भूषण की संस्था ‘संभावनाशाला’ का सीधा संबंध सामने आया है। वही प्रशांत भूषण जो हर समय हिंदू-विरोधी एजेंडे को हवा देने, भारतीय न्यायपालिका को कटघरे में खड़ा करने और सरकार विरोधी अभियान चलाने में सबसे आगे रहते हैं। इतना ही नहीं, रवीश कुमार, प्रतीक सिन्हा और लेफ्ट-लिबरल इकोसिस्टम के अन्य प्रमुख चेहरे भी इस नैरेटिव सेटिंग में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
इंटरन्यूज और USAID का खेल: भारतीय राजनीति में विदेशी हस्तक्षेप
USAID यानी यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट अमेरिकी सरकार की एक एजेंसी है, जो विकासशील देशों में अपने हितों को साधने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। लेकिन यह फंडिंग अक्सर राजनीतिक हस्तक्षेप और नैरेटिव सेटिंग के लिए इस्तेमाल की जाती है।
‘इंटरन्यूज’ को ₹4100+ करोड़ की फंडिंग मिलने के बाद यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि यह संस्था भारत में किन उद्देश्यों के लिए काम कर रही है? जब इस संस्था से जुड़े संगठनों की पड़ताल की गई, तो इसमें प्रशांत भूषण की ‘संभावना’ नामक संस्था का नाम सामने आया। यह वही संभावना है जहां वामपंथी विचारधारा के नेताओं, पत्रकारों और तथाकथित बुद्धिजीवियों की बैठकें होती हैं।
संभावना का मुख्य उद्देश्य “प्रगतिशील राजनीति को बढ़ावा देना” बताया जाता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि यह संस्था हिंदू विरोधी नैरेटिव गढ़ने, सरकार के खिलाफ माहौल बनाने और विदेशी एजेंडे को आगे बढ़ाने का अड्डा बन चुकी है।
रवीश कुमार, प्रतीक सिन्हा और लेफ्ट गैंग का असली चेहरा (USAID और लेफ्ट-लिबरल गैंग)
यदि आप गौर करें, तो पाएंगे कि रवीश कुमार, प्रतीक सिन्हा, प्रशांत भूषण और अन्य लेफ्ट-लिबरल पत्रकार और एक्टिविस्ट लगातार सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार करने में लगे रहते हैं। ये लोग तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने, हिंदू समाज को बदनाम करने और भारत को विश्व मंच पर कमजोर दिखाने की कोशिशों में हमेशा सक्रिय रहते हैं।
प्रतीक सिन्हा की ‘ऑल्ट न्यूज’ हो या फिर रवीश कुमार के कार्यक्रम, इनका मुख्य उद्देश्य फेक नैरेटिव बनाना और देश में सामाजिक अस्थिरता फैलाना होता है। इन सभी संस्थाओं को कहीं न कहीं विदेशी फंडिंग का सहारा मिलता रहा है और USAID से मिली फंडिंग ने इस गहरी साजिश का पर्दाफाश कर दिया है।
हिंदू विरोधी एजेंडे को बढ़ावा देने की रणनीति
यह वामपंथी गैंग हर मुद्दे पर हिंदू समाज को निशाना बनाने और हिंदू विरोधी नैरेटिव गढ़ने में सबसे आगे रहता है।
- जब राम मंदिर का मुद्दा आया, तो इन्होंने इसे सांप्रदायिक विवाद बनाने की कोशिश की।
- जब CAA लागू किया गया, तो इन्होंने इसे “मुस्लिम विरोधी” बताकर हिंसा भड़काने का प्रयास किया।
- जब धारा 370 हटी, तो इनकी लॉबी ने इसे “कश्मीरियों पर अत्याचार” का नाम दिया।
इनकी रणनीति साफ है—हिंदू विरोधी माहौल बनाओ, सरकार के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंच पर दुष्प्रचार करो और भारत की छवि खराब करो।
कांग्रेस की चुप्पी और नेतृत्व का सवाल
सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि इस पूरे मामले पर कांग्रेस क्यों चुप है? क्या कांग्रेस भी इसी विदेशी नैरेटिव का हिस्सा बन चुकी है?
कांग्रेस के नेता पहले भी हिंदू विरोधी ताकतों के साथ खड़े दिखे हैं। चाहे वह “हिंदू आतंकवाद” का झूठा नैरेटिव गढ़ना हो या फिर टुकड़े-टुकड़े गैंग का समर्थन करना, कांग्रेस का झुकाव हमेशा इस गैंग की तरफ रहा है।
शशि थरूर जैसे नेताओं ने खुद यह सवाल उठाया है कि कांग्रेस किस दिशा में जा रही है। क्या कांग्रेस अब पूरी तरह विदेशी एजेंडे का हिस्सा बन चुकी है? क्या पार्टी में कोई ऐसा नेतृत्व है, जो इस राष्ट्रविरोधी लॉबी से खुद को अलग कर सके?
भारत विरोधी एजेंडे का पर्दाफाश जरूरी
USAID की फंडिंग और ‘इंटरन्यूज’ से जुड़े संगठनों का खुलासा यह दिखाता है कि कैसे भारत में एक संगठित साजिश के तहत हिंदू विरोधी और राष्ट्रविरोधी नैरेटिव तैयार किए जा रहे हैं। यह समय है कि भारतीय जनता ऐसे गद्दारों को पहचानें और विदेशी एजेंडे पर काम करने वाले संगठनों को बेनकाब करें। राष्ट्रवाद और हिंदुत्व की ताकतें इन देशविरोधी ताकतों के खिलाफ एकजुट हों और भारत की संप्रभुता की रक्षा करें। USAID funded whole left liberal gang us agency fund 4100 crore to prashant bhushan liked internews