ईशा फाउंडेशन की स्थापना सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने 1992 में तमिलनाडु के कोयंबटूर में की थी। यह एक अध्यात्मिक और योग केंद्र है, जो लोगों के आंतरिक विकास और मानसिक शांति को बढ़ावा देने के लिए कार्य करता है। फाउंडेशन द्वारा इनर इंजीनियरिंग, ध्यानलिंग, सेव सॉयल अभियान और ईशा होम स्कूल जैसी पहल चलाई जाती हैं। इसके साथ ही, यह शिक्षा, पर्यावरण और ग्रामीण उत्थान से जुड़े कई सामाजिक कार्यों में भी योगदान देता है। वर्तमान में, ईशा फाउंडेशन एक वैश्विक संगठन बन चुका है, जो आध्यात्मिक जागरूकता और मानव कल्याण को प्राथमिकता देता है।
ईशा फाउंडेशन, सद्गुरु जग्गी वासुदेव द्वारा स्थापित एक प्रमुख आध्यात्मिक संस्था, पिछले दो दशकों से विभिन्न विवादों और आरोपों का सामना कर रही है। इन घटनाओं का विश्लेषण करने पर यह स्पष्ट होता है कि ये हमले हिंदू धर्म और उसकी शिक्षाओं को कमजोर करने के उद्देश्य से किए गए हैं।
अमित शाह की ईशा फाउंडेशन में उपस्थिति
हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की महाशिवरात्रि 2025 के अवसर पर ईशा फाउंडेशन में उपस्थिति ने सद्गुरु और उनके प्रयासों के प्रति सरकार के समर्थन को दर्शाया है, जो तमिलनाडु में राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित कर सकता है।
वास्तव में, ईशा फाउंडेशन तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) सरकार की आलोचना का सामना कर रहा है, क्योंकि यह हिंदू धर्म और सद्गुरु की शिव भक्ति को प्रोत्साहित करता है। DMK सरकार और उनके समर्थक, जो हिंदू धर्म के प्रति विरोधी रुख रखते हैं, लगातार ईशा फाउंडेशन और सद्गुरु को निशाना बना रहे हैं।
26 फरवरी 2025 को, ईशा फाउंडेशन द्वारा आयोजित महाशिवरात्रि उत्सव में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भाग लिया। इससे लिबरल गैंग और विदेशी फंडिंग प्राप्त करने वाले तत्वों में हलचल मच गई। ध्रुव राठी जैसे यूट्यूबर्स और रवीश कुमार जैसे पत्रकारों ने, जिन पर USAID से फंडिंग लेने का संदेह है, अमित शाह और केंद्र सरकार पर हमले शुरू कर दिए। उन्होंने सद्गुरु और ईशा फाउंडेशन को भी निशाना बनाया, लेकिन अमित शाह की उपस्थिति ने यह स्पष्ट कर दिया कि केंद्र सरकार तमिलनाडु में सरकार बनाने के लिए प्रतिबद्ध है और DMK तथा विदेशी ताकतों द्वारा हिंदू धर्म को कमजोर करने की साजिशों को नाकाम करेगी।

अमित शाह की तुलना सरदार वल्लभभाई पटेल से
महाशिवरात्रि 2025 के अवसर पर ईशा फाउंडेशन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति को लेकर सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने उनका विशेष रूप से स्वागत किया और उनकी तुलना लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल से की।
सद्गुरु ने अपने संबोधन में कहा, “अमित शाह जी का नेतृत्व भारत की अखंडता और सांस्कृतिक पुनरुत्थान का प्रतीक है। जिस तरह सरदार पटेल ने देश को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, उसी तरह अमित शाह जी भारत की एकता, सांस्कृतिक धरोहर और सुरक्षा को मजबूत करने का कार्य कर रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “सरदार पटेल ने राजनीतिक इच्छाशक्ति के बल पर देश को एक किया था, और आज अमित शाह जी उसी संकल्प और अडिग मानसिकता के साथ भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को सुरक्षित रखने के लिए काम कर रहे हैं। यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि वे महाशिवरात्रि जैसे पवित्र अवसर पर यहां उपस्थित हैं।”
सद्गुरु के इस बयान ने कार्यक्रम में मौजूद हजारों लोगों को प्रेरित किया और यह संदेश दिया कि भारत के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उत्थान के लिए एक सशक्त नेतृत्व की आवश्यकता है, जो अपनी जड़ों से जुड़ा हो और देश को आगे ले जाने का संकल्प रखता हो।
ईशा फाउंडेशन के खिलाफ विवादों का कालक्रम:
- 2016: मद्रास उच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका
अगस्त 2016 में, एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर ने आरोप लगाया कि उनकी बेटियों को ईशा योग केंद्र में जबरन रोका जा रहा है। इस पर मद्रास उच्च न्यायालय ने पुलिस को जांच का आदेश दिया, जिसके तहत 150 पुलिसकर्मियों ने आश्रम पर छापा मारा। हालांकि, 12 अगस्त 2016 को, उच्च न्यायालय ने इन आरोपों को खारिज करते हुए ईशा फाउंडेशन के पक्ष में निर्णय दिया। - 2021: भूमि अतिक्रमण और पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन
मई 2021 में, आरोप लगाए गए कि ईशा फाउंडेशन का 150 एकड़ का परिसर, जो इक्काराई बोलुवामपट्टी, कोयंबटूर में स्थित है, ने पर्यावरणीय नियमों और कानूनों का उल्लंघन किया है। हालांकि, फाउंडेशन ने इन आरोपों का खंडन किया और कहा कि उन्होंने सभी आवश्यक अनुमतियाँ प्राप्त की हैं। - 2022: पर्यावरणीय मंजूरी विवाद
2022 में, मद्रास उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि ईशा फाउंडेशन को उनके भवनों के लिए पर्यावरणीय मंजूरी की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वे एक शैक्षिक संस्थान के रूप में वर्गीकृत हैं। यह निर्णय फाउंडेशन के खिलाफ लगाए गए आरोपों को खारिज करता है।
महाशिवरात्रि 2025: अमित शाह की उपस्थिति और समर्थन
26 फरवरी 2025 को, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कोयंबटूर स्थित ईशा फाउंडेशन में महाशिवरात्रि समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर, उन्होंने सद्गुरु जग्गी वासुदेव की प्रशंसा की और हिंदू धर्म के प्रसार में उनके योगदान को सराहा।
शाह ने कहा, “शिव केवल एक देवता नहीं, बल्कि एक शाश्वत उपस्थिति हैं, और ‘शिवत्व’ का जागरण आत्म-साक्षात्कार का सच्चा मार्ग है।”
अमित शाह की उपस्थिति के लाभ:
- सरकारी समर्थन का संकेत: अमित शाह की उपस्थिति ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार ईशा फाउंडेशन और सद्गुरु के प्रयासों का समर्थन करती है, जो हिंदू धर्म के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
- राजनीतिक प्रभाव: तमिलनाडु में, जहां डीएमके सरकार का वर्चस्व है, शाह की उपस्थिति ने भाजपा के हिंदू समर्थक रुख को मजबूत किया है, जो राज्य में पार्टी की स्थिति को सुदृढ़ कर सकता है।
- धार्मिक एकता का संदेश: इस कार्यक्रम में शाह की भागीदारी ने राष्ट्रीय स्तर पर धार्मिक एकता और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण का संदेश दिया है।
भाजपा और सद्गुरु का सहयोग:
- राजनीतिक समर्थन: सद्गुरु के व्यापक अनुयायी आधार और प्रभाव को देखते हुए, उनका समर्थन भाजपा को तमिलनाडु में राजनीतिक लाभ दिला सकता है, जहां पार्टी अपनी पकड़ मजबूत करने का प्रयास कर रही है।
- धार्मिक और सांस्कृतिक पुनरुत्थान: भाजपा और सद्गुरु मिलकर हिंदू धर्म और संस्कृति के पुनरुत्थान के लिए कार्य कर सकते हैं, जो राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देगा।
- विपक्षी ताकतों का मुकाबला: दोनों मिलकर उन ताकतों का सामना कर सकते हैं जो हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति को कमजोर करने का प्रयास कर रही हैं, जिससे देश की सांस्कृतिक अखंडता की रक्षा होगी।
पिछले दो दशकों में, ईशा फाउंडेशन और सद्गुरु ने विभिन्न आरोपों और विवादों का सामना किया है, जो मुख्यतः हिंदू धर्म के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से थे। हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की महाशिवरात्रि 2025 के अवसर पर उपस्थिति ने स्पष्ट संकेत दिया है कि केंद्र सरकार सद्गुरु के प्रयासों का समर्थन करती है। भाजपा और सद्गुरु का सहयोग तमिलनाडु में राजनीतिक संतुलन को बदल सकता है और हिंदू धर्म के खिलाफ काम करने वाली ताकतों को पराजित कर सकता है।