15 फरवरी 2025 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में आयोजित काशी-तमिल संगमम् के तीसरे संस्करण का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री डॉ. एल. मुरुगन के साथ किया। इस दस दिवसीय कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य उत्तर और दक्षिण भारत की सांस्कृतिक एकता को प्रोत्साहित करना है। (Modi uniting country like Shankaracharya)
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की तुलना आदि शंकराचार्य से करते हुए कहा कि जैसे शंकराचार्य ने देश को जोड़ने का कार्य किया था, वैसे ही प्रधानमंत्री मोदी काशी-तमिल संगमम् के माध्यम से एक भारत-श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को साकार कर रहे हैं। “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की प्राचीन विरासत और सांस्कृतिक एकता को एक नई दिशा मिल रही है। यह कार्यक्रम भारत के भीतर अलग-अलग संस्कृतियों को जोड़ने का एक बड़ा माध्यम बन रहा है।”
महर्षि अगस्त्य पर केंद्रित थीम
इस वर्ष के काशी-तमिल संगमम् का मुख्य विषय महर्षि अगस्त्य है, जिन्हें तमिल और संस्कृत दोनों भाषाओं में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। महर्षि अगस्त्य ने संस्कृत और तमिल साहित्य के बीच सेतु का कार्य किया, जिससे दोनों संस्कृतियों के बीच संवाद और समृद्धि संभव हो पाई। इस थीम के माध्यम से कार्यक्रम में भाग लेने वाले प्रतिनिधि महर्षि अगस्त्य की जीवन यात्रा, उनके योगदान और उनके सिद्धांतों से परिचित होंगे।
कार्यक्रम की विशेषताएँ
- सांस्कृतिक प्रदर्शनी: नमो घाट पर महर्षि अगस्त्य के जीवन और कार्यों पर आधारित चित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, जिससे आगंतुक उनकी शिक्षाओं और योगदानों को समझ सकें।
- शैक्षिक सत्र: कार्यक्रम के दौरान विभिन्न शैक्षिक सत्र आयोजित किए गए, जिनमें तमिल और संस्कृत साहित्य, कला, संगीत और नृत्य पर चर्चा की गई।
- आध्यात्मिक भ्रमण: प्रतिनिधियों को काशी विश्वनाथ मंदिर, महाकुंभ मेला और अयोध्या स्थित राम मंदिर का दौरा करने का अवसर मिला, जिससे वे भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता के विविध पहलुओं से परिचित हो सके।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संबोधन
उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में संस्कृतियों को जोड़ने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की तुलना आदि शंकराचार्य से करते हुए कहा कि जैसे शंकराचार्य ने देश को जोड़ने का कार्य किया था, वैसे ही प्रधानमंत्री मोदी काशी-तमिल संगमम् के माध्यम से एक भारत-श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को साकार कर रहे हैं। Modi uniting country like Shankaracharya
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का योगदान
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस अवसर पर कहा कि महाकुंभ ने देश ही नहीं, दुनिया के सनातनियों में जागृति पैदा की है। उन्होंने तमिल और संस्कृत भाषाओं की समृद्धि और उनके योगदान पर प्रकाश डाला। प्रधान ने यह भी उल्लेख किया कि तमिलनाडु में कोई ऐसा मंदिर नहीं है, जिसमें श्रीकाशी विश्वनाथ महादेव नहीं विराजते, जो दोनों संस्कृतियों के बीच गहरे संबंध को दर्शाता है।
केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. एल. मुरुगन का दृष्टिकोण
केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. एल. मुरुगन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना को साकार करने में काशी-तमिल संगमम् की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने काशी और तमिलनाडु के बीच के 5,000 वर्षों पुराने संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि यह आयोजन दोनों संस्कृतियों के बीच की दूरी को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
कार्यक्रम की अवधि और उद्देश्य
15 से 25 फरवरी 2025 तक चलने वाला यह कार्यक्रम तमिलनाडु से लगभग 1,200 प्रतिनिधियों की भागीदारी के साथ आयोजित किया गया। इसका उद्देश्य दोनों क्षेत्रों के विद्वानों, छात्रों, दार्शनिकों, व्यापारियों, कारीगरों, कलाकारों और अन्य क्षेत्रों के लोगों को एक साथ लाकर उनके ज्ञान, संस्कृति और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना है। यह कार्यक्रम युवाओं को जागरूक करने और सांस्कृतिक एकता का अनुभव कराने पर भी केंद्रित है।
काशी-तमिल संगमम् का यह तीसरा संस्करण भारत की सांस्कृतिक विविधता और एकता का प्रतीक है। यह आयोजन उत्तर और दक्षिण भारत की प्राचीन संस्कृतियों के बीच संवाद और समझ को बढ़ावा देता है, जिससे ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना को साकार किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के माध्यम से महर्षि अगस्त्य जैसे महान संतों की शिक्षाओं को पुनः जीवित किया जा रहा है, जो भारतीय संस्कृति की समृद्धि और विविधता को दर्शाते हैं।