पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के महाकुंभ को ‘मृत्युकुंभ’ कहने वाले बयान पर देशभर में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। इस बयान को हिंदू समाज की आस्था पर हमला माना जा रहा है। लेकिन अब इस विवाद में एक नया मोड़ तब आया जब शंकराचार्य अनमुक्तेश्वर ने ममता बनर्जी के बयान का समर्थन किया।
शंकराचार्य अनमुक्तेश्वर विवादों से घिरे रहने वाले संत हैं, जो अक्सर राजनीति से अपनी नजदीकी के कारण सुर्खियों में रहते हैं। कई बार उन्होंने ऐसे बयान दिए हैं जो न केवल हिंदू संस्कृति बल्कि राष्ट्रवाद के भी खिलाफ रहे हैं। इस बार भी उनका बयान लोगों के गले नहीं उतर रहा है। उनके इस बयान ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या वह विपक्षी पार्टियों के इशारों पर काम कर रहे हैं?
अनमुक्तेश्वर का ‘मृत्युकुंभ’ पर बयान
जब पूरे देश में ममता बनर्जी के ‘मृत्युकुंभ‘ बयान की आलोचना हो रही थी, तब शंकराचार्य अनमुक्तेश्वर ने उनके समर्थन में बयान देकर सनातन धर्म के अनुयायियों को चौंका दिया। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ने जो कहा वह पूरी तरह सही है और महाकुंभ से ज्यादा जरूरी मानवता है।
उन्होंने आगे कहा:
उनके इस बयान के बाद हिंदू समाज में आक्रोश और बढ़ गया। सोशल मीडिया पर उन्हें कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा और लोगों ने सवाल किया कि एक शंकराचार्य होकर वह हिंदू धर्म के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन का अपमान कैसे कर सकते हैं?
शंकराचार्य अनमुक्तेश्वर: विवादों से पुराना नाता
यह पहली बार नहीं है जब शंकराचार्य अनमुक्तेश्वर विवाद में आए हैं। वह अक्सर अपने विरोधाभासी बयानों और राजनीतिक संबंधों के कारण चर्चा में रहते हैं।
1. विपक्षी दलों से करीबी संबंध
शंकराचार्य अनमुक्तेश्वर पर आरोप है कि वह हमेशा विपक्षी पार्टियों के करीब रहे हैं। जब भी कोई बड़ा राजनीतिक विवाद होता है, वह हमेशा विपक्ष के समर्थन में बयान देते हैं।
2. हिंदू धार्मिक आयोजनों की आलोचना
वह कई बार हिंदू पर्वों और परंपराओं पर सवाल उठा चुके हैं। कुछ साल पहले उन्होंने दीपावली पर पटाखे फोड़ने का विरोध किया था, जबकि अन्य धर्मों के त्योहारों पर कभी कोई टिप्पणी नहीं की।
3. राष्ट्रविरोधी बयानों के आरोप
कई मौकों पर उन्होंने राष्ट्रवाद और भारतीय सेना को लेकर भी विवादित बयान दिए हैं। उनका एक बयान वायरल हुआ था जिसमें उन्होंने कहा था कि
“भारत में कुछ ताकतें जबरदस्ती राष्ट्रवाद थोप रही हैं, हमें इससे बचना चाहिए।”
यह बयान तब आया जब देश में राष्ट्रीय सुरक्षा और भारतीय सेना के प्रति समर्थन की लहर थी। इस बयान के बाद कई हिंदू संगठनों ने उन्हें राष्ट्रविरोधी करार दिया था।
बीजेपी और हिंदू संगठनों का तीखा पलटवार
शंकराचार्य अनमुक्तेश्वर के मृत्युकुंभ पर दिए गए बयान पर बीजेपी और हिंदू संगठनों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
-
बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने कहा:
“अगर कोई तथाकथित संत महाकुंभ का अपमान करता है, तो वह निश्चित रूप से किसी राजनीतिक दल का एजेंडा चला रहा है।”
-
विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने भी इसे हिंदू समाज का अपमान बताया और कहा कि
“जो लोग महाकुंभ को ‘मृत्युकुंभ’ कह रहे हैं, वे हिंदू विरोधी मानसिकता से ग्रसित हैं।”
-
संघ परिवार के सदस्यों ने इसे सनातन धर्म पर हमला करार दिया और शंकराचार्य अनमुक्तेश्वर से इस बयान पर स्पष्टीकरण देने की मांग की।
क्या शंकराचार्य अनमुक्तेश्वर विपक्षी एजेंडे का हिस्सा हैं?
शंकराचार्य अनमुक्तेश्वर के बयानों और उनके राजनीतिक संबंधों को देखते हुए यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या वह किसी राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा हैं?
- उनकी विपक्षी पार्टियों से करीबी
- हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण आयोजनों की आलोचना
- राष्ट्रवाद के खिलाफ बयानबाजी
यह सभी बातें इस संदेह को मजबूत करती हैं कि उनका झुकाव हिंदू विरोधी राजनीति की ओर है।
शंकराचार्य अनमुक्तेश्वर का मृत्युकुंभ बयान एक बार फिर यह साबित करता है कि कुछ लोग राजनीति से प्रभावित होकर हिंदू धर्म और उसकी परंपराओं को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।
- हिंदू समाज को ऐसे संतों की असलियत समझनी होगी, जो धार्मिक चोला पहनकर राजनीतिक एजेंडा चला रहे हैं।
- महाकुंभ जैसे पवित्र आयोजनों का सम्मान करना हर भारतीय का कर्तव्य है।
- राजनीतिक स्वार्थ के लिए धर्म का इस्तेमाल करने वालों का सामूहिक विरोध किया जाना चाहिए।
अब सवाल यह है कि क्या हिंदू समाज इस तरह के धर्मगुरुओं का बहिष्कार करेगा, या फिर ऐसे विवादित बयान देने वालों को माफ कर देगा? यह समय धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए एकजुट होने का है!