प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में आर्थिक कुप्रबंधन और परमिट राज की शुरुआत के लिए कांग्रेस पर कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने गांधी परिवार को भारत की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाने और वैश्विक स्तर पर बदनामी करवाने का दोषी ठहराया। पीएम मोदी ने कांग्रेस की आर्थिक नीतियों के कारण भारतीयों की छवि धूमिल होने की भी बात कही।
पीएम मोदी के भाषण के मुख्य बिंदु:
- कांग्रेस सरकार की आर्थिक नीतियाँ: प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस की आर्थिक नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि उनके कारण भारत को वैश्विक स्तर पर बदनामी झेलनी पड़ी।
- लाइसेंस राज की विफलता: उन्होंने ‘लाइसेंस राज’ को भारत के औद्योगीकरण में सबसे बड़ी बाधा बताया।
- हिंदू विकास दर का मिथक: उन्होंने इस शब्द को कांग्रेस की विफलता छिपाने का प्रयास बताया और इसे ‘नेहरू विकास दर’ कहने की मांग की।
- नेहरूवादी समाजवाद की आलोचना: पीएम मोदी ने कहा कि नेहरू समाजवाद के इतने समर्थक थे कि सरकार ने होटल व्यवसाय तक अपने नियंत्रण में ले लिया।
- इंदिरा गांधी की नीतियाँ: उन्होंने इंदिरा गांधी द्वारा बैंकिंग, कपड़ा, कोयला, इस्पात और तांबे के उद्योगों के राष्ट्रीयकरण को आर्थिक मंदी का प्रमुख कारण बताया।
प्रधानमंत्री मोदी का बयान:
गुरुवार (6 फरवरी, 2025) को राज्यसभा में बजट अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस की आर्थिक नीतियों की आलोचना की। उन्होंने विशेष रूप से जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के कार्यकाल में भारत की धीमी विकास दर पर चर्चा की।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “शाही परिवार की आर्थिक नीतियों और कुप्रबंधन के कारण भारतीय समाज को दोषी ठहराया गया और बदनाम किया गया। जबकि ऐतिहासिक रूप से भारत हमेशा मुक्त व्यापार और उद्यमिता को प्रोत्साहित करने वाला समाज रहा है। लाइसेंस और परमिट व्यवस्था भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं थी।”
उनका यह बयान कांग्रेस शासन के दौरान ‘लाइसेंस राज’ और आर्थिक मंदी के कारण औद्योगीकरण की बाधाओं को उजागर करने के लिए था। आजादी के बाद भारत की अर्थव्यवस्था को नियंत्रित और सीमित रखा गया था, और 1991 में आर्थिक सुधारों के बाद ही स्थिति में सुधार आया।
दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “शाही परिवार के आर्थिक कुप्रबंधन और गलत नीतियों के कारण पूरे समाज को दुनिया भर में दोषी ठहराया गया और बदनाम किया गया…”
(वीडियो सौजन्य: संसद टीवी) pic.twitter.com/SmqzMQlPW8
— IANS Hindi (@IANSKhabar) February 6, 2025
‘हिंदू विकास दर’ बनाम ‘नेहरू विकास दर’:
‘हिंदू विकास दर’ शब्द 1978 में अर्थशास्त्री राज कृष्ण द्वारा गढ़ा गया था, जो 1950-1980 की जीडीपी वृद्धि दर को दर्शाने के लिए प्रयुक्त हुआ था। इस दौरान विकास दर औसतन 3.5% रही, लेकिन इसे ‘हिंदू विकास दर’ कहना पूरी तरह अनुचित था क्योंकि भारत की आर्थिक संरचना में हिंदुओं का प्रमुख योगदान था। असल में, इसे ‘नेहरू विकास दर’ कहा जाना चाहिए था। जवाहरलाल नेहरू, जो 1964 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे, उनकी आर्थिक नीतियों का प्रभाव लंबे समय तक बना रहा। देश की आर्थिक दशा के लिए ‘नेहरू विकास दर’ शब्द अधिक उपयुक्त होता, क्योंकि यही नीतियाँ आगे भी लागू रहीं।
आर्थिक नीतियों का दीर्घकालिक प्रभाव:
नेहरू ने समाजवाद को इतना अधिक प्राथमिकता दी कि सरकार होटल व्यवसाय तक चलाने लगी। बिड़ला और टाटा जैसे उद्योगपतियों को व्यवसाय विस्तार की स्वतंत्रता नहीं दी गई। उनके इस दृष्टिकोण ने आर्थिक प्रगति को बाधित किया और देश को धीमी विकास दर की ओर धकेला। नेहरू की नीतियों को उनकी बेटी इंदिरा गांधी ने भी जारी रखा। उन्होंने बैंकिंग, कपड़ा, कोयला, इस्पात और तांबे जैसे उद्योगों का राष्ट्रीयकरण किया। इसके कारण देश दशकों तक आर्थिक संकट से जूझता रहा। इस पृष्ठभूमि में पीएम मोदी का यह कहना एकदम सही प्रतीत होता है कि शाही परिवार की गलत आर्थिक नीतियों के कारण भारत को वैश्विक मंच पर बदनामी झेलनी पड़ी।