पाकिस्तान एक बार फिर गंभीर आंतरिक संकट का सामना कर रहा है, जो देश की एकता और अखंडता पर सवाल खड़े कर रहा है। हाल ही में, पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (फ) के प्रमुख और सांसद मौलाना फजलुर रहमान ने चेतावनी दी है कि देश 1971 जैसे हालात की ओर बढ़ रहा है, जब पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) ने स्वतंत्रता प्राप्त की थी। उन्होंने विशेष रूप से बलूचिस्तान के 5 से 7 जिलों के स्वतंत्रता की घोषणा करने की संभावना पर चिंता व्यक्त की है। (Balochistan independence warning fazlur rehman)
बलूचिस्तान में अस्थिरता और संभावित विभाजन (balochistan independence warning fazlur rehman)
मौलाना फजलुर रहमान ने अपने भाषण में बलूचिस्तान प्रांत की वर्तमान स्थिति पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि यदि बलूचिस्तान के ये जिले स्वतंत्रता की घोषणा करते हैं, तो संयुक्त राष्ट्र उनकी आजादी को मान्यता दे सकता है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र कुर्रम में शिया-सुन्नी संघर्ष ने 150 से अधिक लोगों की जान ले ली है, और सरकार का वहां कोई नियंत्रण नहीं बचा है।
सेना और सरकार पर आरोप
मौलाना फजलुर रहमान ने पाकिस्तान की सेना और सरकार पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा से संबंधित नीतियाँ संसद और सरकारी हलकों में नहीं, बल्कि राजनीति और संसद से परे बंद कमरों में बनाई जा रही हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ ताकतवर लोग बंद कमरों में फैसले लेते हैं, जिन्हें सरकार को मानना पड़ता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि मौजूदा सिविलियन सरकार का नियंत्रण सीमित है, और महत्वपूर्ण निर्णय कुछ विशेष समूहों द्वारा लिए जा रहे हैं।
1971 के इतिहास की पुनरावृत्ति की आशंका
1971 में, पाकिस्तान ने एक विभाजन का सामना किया था, जब पूर्वी पाकिस्तान ने बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्रता प्राप्त की थी। उस समय भी आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता, सैन्य हस्तक्षेप, और क्षेत्रीय असंतोष ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आज, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा जैसे क्षेत्रों में बढ़ती अस्थिरता और सरकार की नाकामी से मौलाना फजलुर रहमान ने 1971 जैसे हालात की पुनरावृत्ति की चेतावनी दी है।
कुर्रम में शिया-सुन्नी संघर्ष
कुर्रम क्षेत्र में शिया और सुन्नी समुदायों के बीच हिंसा ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। नवंबर में शुरू हुई नई हिंसा में अब तक 150 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। यह क्षेत्र पाकिस्तान का पहाड़ी इलाका है, जो अफगानिस्तान की सीमा से सटा हुआ है। यहां भारी हथियारों से लैस लड़ाके आपस में लड़ रहे हैं, और हालात बहुत खराब हैं। हालांकि, कई बार सीजफायर की कोशिश की गई, लेकिन हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है।
सरकार की प्रतिक्रिया और भविष्य की चुनौतियाँ
पाकिस्तान की वर्तमान स्थिति न केवल आंतरिक अस्थिरता को दर्शाती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि सरकार और सेना के बीच तालमेल की कमी है। यदि मौजूदा हालात पर काबू नहीं पाया गया, तो देश को एक और विभाजन का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, यह आवश्यक है कि पाकिस्तान की सरकार और सेना मिलकर देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाएँ।
मौलाना फजलुर रहमान का यह बयान पाकिस्तान की वर्तमान राजनीतिक और सामाजिक स्थिति पर एक गंभीर चेतावनी है। यदि समय रहते आवश्यक कदम नहीं उठाए गए, तो देश को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए, आप मौलाना फजलुर रहमान का नेशनल असेंबली में दिया गया भाषण नीचे देख सकते हैं: