मध्य प्रदेश के खंडवा से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ एक नाबालिग लड़के को उसके सौतेले पिता द्वारा अमानवीय यातनाएँ दी गईं और जबरन इस्लाम में धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया गया। यह घटना सामने आने के बाद लोगों में आक्रोश फैल गया है और जबरन धर्म परिवर्तन के मामलों पर फिर से बहस छिड़ गई है।
नाबालिग के साथ क्रूर व्यवहार
रिपोर्ट्स के अनुसार, आरोपी सौतेले पिता ने नाबालिग को जंजीरों में जकड़कर शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। जब लड़के ने धर्म परिवर्तन से इनकार किया, तो उसे धमकियाँ दी गईं और शारीरिक यातनाएँ दी गईं। पड़ोसियों को जब इस मामले की भनक लगी, तो उन्होंने पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद इस भयावह घटना का खुलासा हुआ।
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि पीड़ित लड़का लंबे समय से मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना झेल रहा था। सौतेले पिता ने उसे इस्लाम अपनाने के लिए मजबूर करने के लिए कई अमानवीय तरीके अपनाए।
खंडवा की यह दर्दनाक घटना दर्शाती है कि जबरन धर्म परिवर्तन जैसी अमानवीय प्रथाओं को रोकने के लिए तत्काल सख्त कार्रवाई की जरूरत है। प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों और कमजोर वर्गों की सुरक्षा की जाए और इस तरह के अपराध करने वालों को कठोर सजा मिले।
शिकायत के बाद पुलिस ने की त्वरित कार्रवाई
जैसे ही पुलिस को इस मामले की सूचना मिली, वे तुरंत मौके पर पहुँचे। वहाँ नाबालिग को बुरी स्थिति में पाया गया—वह जंजीरों में जकड़ा हुआ था और मानसिक रूप से बेहद डरा हुआ था। पुलिस ने तुरंत आरोपी को हिरासत में लिया और उसके खिलाफ बाल उत्पीड़न और जबरन धर्म परिवर्तन जैसे गंभीर आरोपों में केस दर्ज किया।
पुलिस अधिकारियों ने पुष्टि की है कि बच्चे को बचा लिया गया है और उसे चाइल्ड वेलफेयर अथॉरिटी की देखरेख में रखा गया है। इस मामले की जांच जारी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या परिवार के अन्य सदस्य भी इस अपराध में शामिल थे। इस घटना के बाद समाज में कड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है, और लोग धर्म परिवर्तन के मामलों पर सख्त कार्रवाई की माँग कर रहे हैं।
जबरन धर्म परिवर्तन पर बढ़ती चिंता
खंडवा की यह घटना कोई अकेला मामला नहीं है। भारत में हाल के वर्षों में जबरन धर्म परिवर्तन के कई मामले सामने आए हैं, जिनमें अक्सर दबाव, मानसिक उत्पीड़न और कभी-कभी हिंसा का सहारा लिया जाता है।
कानूनी विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस तरह के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि जबरन धर्म परिवर्तन न केवल मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह भारतीय संविधान में दिए गए धार्मिक स्वतंत्रता के प्रावधानों के भी खिलाफ है।
धार्मिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा के लिए समाज को सतर्क रहना होगा और ऐसी घटनाओं की तुरंत रिपोर्ट करनी होगी। सरकार, पुलिस और नागरिक समाज को मिलकर काम करना होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि धर्म परिवर्तन स्वेच्छा से हो, न कि दबाव या हिंसा के माध्यम से।
जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानूनी प्रावधान
भारत में जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए कड़े कानून मौजूद हैं। विशेष रूप से, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में इस तरह के अपराधों पर सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। इन कानूनों के तहत, यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य को धमकी, हिंसा या दबाव के माध्यम से धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करता है, तो उसे कठोर दंड दिया जा सकता है। नाबालिगों के मामले में, कानून और भी सख्त हो जाता है, क्योंकि बच्चे आसानी से प्रभावित हो सकते हैं और उनके अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए।
जनता का आक्रोश और न्याय की माँग
खंडवा की इस घटना ने सामाजिक और धार्मिक संगठनों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। लोगों का कहना है कि जबरन धर्म परिवर्तन मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है और इसे रोकने के लिए कठोर कदम उठाए जाने चाहिए।
बच्चों की सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए काम करने वाले संगठनों ने इस मामले में न्याय की माँग की है। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को और अधिक सतर्क रहना होगा। इसके अलावा, समाज में जागरूकता फैलाने की भी आवश्यकता है ताकि लोग जबरन धर्म परिवर्तन के खतरे और कानूनी अधिकारों के बारे में जान सकें।